प्रबंध का महत्व क्या है ?

सभी तरह के संस्था में चाहे वो छोटी या बड़ी, व्यावसायिक हो अथवा गैर व्यावसायिक उसके अंतगर्त सामूहिक प्रयत्नों के द्वारा सामान्य उद्देश्य की पूर्ति की जाती है और इन प्रयत्नों में प्रबंध का काफी महत्व रहता है। प्रबंध के बिना उत्पादन के साधन केवल साधन ही रह जाते है।

सामान्यतः प्रबंध के निम्नलिखित महत्व है :


  • प्रबंध निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उत्पादन के विभिन्न साधनों में प्रभावपूर्ण समन्वय स्थापित कर न्यूनतम प्रयासों से अधिकतम परिणामों की प्राप्ति सम्भव बनाता है। प्रबंध संस्था के उपलब्ध साधनों में उपयुक्त समन्वय स्थापित कर मनुष्यों का विकास करता है।

  • अच्छे एवं कुशल प्रबंधन में दूरदर्शिता, योजनाओं के निर्माण की क्षमता, क्रियाओं के निर्धारण की क्षमता, देश की आर्थिक स्थिति का सही मूल्यांकन करने की क्षमता, ग्राहकों की रूचि का अध्ययन करने की क्षमता आदि होती है जो कटु प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण है।

  • प्रबंध द्वारा प्रारम्भ में आधारभूत नीतियों का निर्माण किया जाता है और बाद में जरूरत के अनुसार विभिन्न नीतियों का निर्धारण किया जाता है।

  • प्रबन्धक समाज को स्थिरता प्रदान करने वाला तथा परम्पराओं का संरक्षक है।

  • व्यक्तियों के विकास में प्रबंध का अत्यंत महत्व है। प्रबंध की समस्त क्रियाएँ मानवीय विकास से संबंधित होती है। यह व्यक्तियों की कार्यकुशलता में वृद्धि करता है और उनका सर्वांगीण विकास करता है।

  • प्रबंधक प्रत्येक व्यवसाय का गतिशील एवं जीवनदायक तत्व होता है उसके नेतृत्व के आभाव में उत्पादन के साधन केवल साधन-मात्र ही रह जाते हैं, कभी उत्पाद नहीं बन पाते हैं।

  • प्रबंध की आवश्यकता केवल व्यावसायिक क्षेत्रों में ही नहीं अपितु गैर-व्यावसायिक क्षेत्र जैसे- स्कूल, कॉलेज, धार्मिक एवं राजनैतिक संस्थाओं, सामाजिक कार्यों, यहाँ तक कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जैसे घर,खेल का मैदान आदि में भी रहती है।

  • देश की समृद्धि में भी प्रबंध का काफी महत्व रहता है। कुशल प्रबंधक जब न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन सम्भव बनाते हैं। श्रम समस्याओं को सुलझाते हैं। समाज के विभिन्न अंगों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भली-भांति निभाते हैं जिससे राष्ट्र समृद्धि की और बढ़ता है।