अशुद्धियाँ करना मानव का स्वभाव है और इसी तरह लेखांकन में हुए किसी तरह के अशुद्धियाँ को लेखांकन अशुद्धियाँ कहा जाता है।
यही कारण है की सावधानी बरतने के बावजूद और कभी असावधानीवश लेखपाल से विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ हो जाती है।
कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती है जिनका प्रभाव तलपट के योग पर नहीं पड़ता है पर कुछ त्रुटियाँ ऐसी होती हैं जो तलपट के योग को प्रभावित करती हैं।
व्यापर को सही स्थिति प्रकट करने के लिए आवश्यक है कि त्रुटियाँ का पता लगाया जाय और सुधार हेतु आवश्यक लेखे किये जायें।