व्यवसाय के कई रूप होते हैं जिसमें कम्पनी भी एक है। वह व्यवसायी संगठन जिसे कम्पनी अधिनियम में वर्णित नियमों के अनुसार गठित एवं संचालित किया जाता है तथा जिसकी पूंजी छोटे-छोटे अंशों में विभक्त होती है, कम्पनी व्यवसाय कहलाती है ।
दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि वह व्यवसाय जो कानून से बनती है कानून से चलती है तथा बंद भी कानून से होती है, कम्पनी व्यवसाय कहलाती है ।
यह भारतीय कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतगर्त निर्मित और पंजीकृत होते हैं।
कम्पनी एक विधान द्वारा निर्मित कृत्रिम व्यक्ति है जिसका अपना वैधानिक अस्तित्व होता है।
जहां अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता होती है और जोखिम भी अधिक होती है वहां कम्पनी व्यवसाय गठित किया जाता है।
इसमें चार तरह के व्यक्ति शामिल होते है :