निगमित निकाय का अर्थ व्यक्तियों की एक संस्था से है जिसका किसी विधि के अन्तर्गत निगमन हुआ है जिसका शाश्वत उत्तराधिकार, सार्वमुद्रा और अपने सदस्यों से पृथक विधिक अस्तित्व है।
कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(11) के अनुसार निगमित निकाय की परिभाषा इस प्रकार है:
“निगमित निकाय या “निगम” के अंतर्गत भारत के बाहर निगमित कोई भी कम्पनी है, किन्तु इस के अन्तर्गत निम्नलिखित नहीं हैं -
(1) सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि के अधीन पंजीकृत कोई सहकारी सोसाइटी, और
(2) ऐसी कोई अन्य निगमित निकाय (जो इस अधिनियम में यथा परिभाषित कम्पनी नहीं है) जिसे केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा, इस संबंध में निर्दिष्ट किया जाए।
निगमित निकाय दो प्रकार के हो सकते हैं:
(1) एकक निगम (Corporation Sole )
(2) सामूहिक निगम (Corporation Aggregate)
एकक निगम एक निगमित निकाय है जो एक व्यक्ति से गठित है जो, किसी कार्यालय या कार्य के अधिकार के कारण, निगमित पद रखता हैं। एकक निगम के उदाहरण
शाश्वत कार्यालयों में मिलते हैं जैसे राष्ट्रपति, गर्वनर, राज्यपद, मंत्री और पब्लिक ट्रस्टी | एकक निगम कम्पनी अधिनियम 2013 के अर्न्तगत निगमित निकाय नहीं है। फिर भी यह कानूनी व्यक्ति है। इस नाते वह किसी कंपनी का सदस्य हो सकती है। स्टार टाईल वर्व्स लिमिटेड बनाम एन गोविन्दन ( Star Tile Works Ltd V. N Govindan (1956) |
“निगम समूह” व्यक्तियों का एक समूह है जो आपस में जुड़े हैं, ताकि वे “एक व्यक्ति” का रूप लें जैसे लिमिटेड कम्पनी, व्यापार संघ।
यहां पर यह ध्यान देना रोचक होगा कि भारत के बाहर पंजीकृत हुई कम्पनी को “निगमित निकाय“ की परिभाषा में शामिल करने से उस कम्पनी पर कम्पनी अधिनियम 2043 के काफी प्रावधान लागू होते हैं।
जैसे धारा 380 के अनुसार विदेशी कम्पनियों को भारत में व्यापार करने के लिए रजिस्ट्रार को कुछ दस्तावेज भेजने होंगे। “निगम या “निगमित” निकाय शब्द कम्पनी शब्द से व्यापक है। यहां पर जैसा कि ऊपर लिखा है कि कम्पनी से अर्थ निगम समुह से है।