समय अध्ययन (Time Study) क्या है ?

समय अध्ययन के अंतगर्त यह देखा जाता है कि सामान्य योग्यता एवं सामान्य बुद्धि वाले सामान्य व्यक्ति को किसी कार्य को सामान्य रूप से करने में कितना समय लगता है। इसी आधार पर किसी कार्य को करने का प्रमापित समय ज्ञात किया जाता है। इस परमपित समय के अंदर प्रत्येक श्रमिक को उक्त कार्य को पूरा करना पड़ता है। इसके आधार पर ही मजदूरी की दर भी निश्चित की जाती है। जो इस प्रमापित समय से कम समय में काम करता है उसे अधिक मजदूरी तथा जो अधिक समय में काम करता है उसे कम मजदूरी दी जाती है।

समय अध्ययन के उद्देश्य (Objective Of Time Study)

  1. किसी कार्य को कुशलतापूर्वक करने का प्रमापित समय निर्धारित करना।

  2. समय अध्ययन का मूलभूत उद्देश्य यह ज्ञात करना है कि निश्चित कार्य को करने में कितना समय लगता है।

  3. कार्यों की गतियों के अध्ययन में सुविधा लाना।

  4. सूचीयन में लगने वाले समय का पता लगाना।

  5. जो श्रमिक निर्धारित समय में कार्य पूरा नहीं कर पाते हैं उसकी असमर्थता के कारणों को ज्ञात करना तथा उन्हें दूर करने का प्रयास करना एवं ऐसे श्रमिकों का पारिश्रमिक तय करना आयी।

  6. उत्पादन लागत तथा उत्पादन में लगने वाले समय का निर्धारण करना।

समय अध्ययन के लाभ (Advantages Of Time Study)

समय अध्ययन से होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित है :-

  1. व्यर्थ की क्रियाएँ नहीं करनी पड़ती हैं है जिसके कारण व्यर्थ में समय नष्ट नहीं होता।

  2. यह श्रमिकों की कुशलता की माप करने का सुंदर तरीका है।

  3. प्रेरणात्मक मजदूरी पद्धति अपनाई जा सकती है।

  4. संस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जा सकती है।

  5. इसमें कार्य का समनाता से विभाजन हो सकता है।

  6. समय अध्ययन श्रमिकों को उनके प्रयासों का मूल्यांकन करने का सुअवसर प्रदान करता है।

  7. परिणाम की पूर्ण शुद्धता प्राप्त करना सम्भव होता है।

समय अध्ययन की विधि (Procedure Of Time Study)

समय अध्ययन के निम्नलिखित Steps है :-

  1. सबसे पहले उत्पादन की प्रत्येक क्रिया को प्रत्येक छोटी-छोटी क्रियाओं एवं उपक्रियाओं को विभाजित किया जाता है।

  2. इसके पश्चात प्रत्येक क्रिया एवं उपक्रिया में लगने वाले समय को स्टॉप वाच की सहायता से ज्ञात करके अंकित किया जाता है।

  3. प्रत्येक क्रिया तथा उपक्रिया में लगने वाले समय को उपर्युक्त विधि से ज्ञात करके जोड़ लिया जाता है और इस कार्य में लगने वाला सम्पूर्ण समय ज्ञात हो जाता है।

  4. सम्पूर्ण समय में से उस समय को घटा दिया जाता है, जो कि श्रमिक क्रियाओं को बदलने एवं विश्राम आदि के लिए लेते हैं।

  5. इस प्रकार अंत में कार्य के निष्पादन का प्रमापित समय ज्ञात कर लिया जाता है।