गति अध्ययन (Motion Study) क्या है ?

कार्य करने की सर्वश्रेष्ठ रीति का पता लगाना गति अध्ययन कहलाता है। गति अध्ययन वह विज्ञान है जिसके द्वारा अनावश्यक अनिर्देशित तथा अकुशल गति से होने वाली क्षति को रोका जा सके।

इस अध्ययन की आधारशिला यह है कि प्रत्येक कार्य को करने में श्रमिक को अपने हाथ-पैर हिलाने-डुलाने पड़ते हैं। शरीर का यह हिलाना-डुलाना जितना अधिक होगा, समय उतना ही अधिक लगेगा तथा थकावट भी उतनी ही जल्दी आयेगी। अतएव वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा काम करने की ऐसी विधि अपनानी चाहिए जिससे शरीर की कम से कम हरकत हो और थकान कम से कम हो। इसका उदाहरण हमें गिलब्रेथ की ईंट जोड़ने की विधि में मिलता है। उन्होंने देखा कि औसतन एक राज को ईंट दीवारे में रखने के लिए 18 बार हरकत करनी पड़ती है। उसने ईंट लगाने के तरीके में सुधार करके इस हरकत को घटाकर 5 और कुछ में तो केवल 2 ही कर दिया।

गति अध्ययन के उद्देश्य (Objectives Of Motion)

गति अध्ययन (Motion Study) के निम्लिखित उद्येश्य है :-
  1. अनावश्यक, अनिर्देशित तथा अकुशल गतियों को समाप्त करना।

  2. कार्य करने की सर्वोत्तम विधि का पता लगाना।

  3. थकान को काम करना एवं शक्ति व समय की बचत करना।

  4. लागत में कमी लाना।

गति अध्ययन की विधि (Procedure Of Motion Study )

गति अध्ययन में निम्नलिखित विधि का उपयोग किया जाता है :
  1. सबसे पहले कुछ श्रमिकों का चयन करके उनमें होने वाली हरकतों का विश्लेषण किया जाता है।

  2. तत्पश्चात कैमरे अथवा वांच की सहायता से प्रत्येक हरकत में लगने वाला न्यूनतम समय ज्ञात किया जाता है।

  3. सभी अनावश्यक त्रुटिपूर्ण धीमी एवं अक्षम्य गतियों को समाप्त कर दिया जाता है।

  4. इसके पश्चात प्रत्येक कार्य करने की सर्वोत्तम गतियों तथा उनमें लगने वाला न्यूनतम समय का अभिलेख रखा जाता है।