वैज्ञानिक प्रबंध के दोष अथवा अवगुण क्या है ?

वैज्ञानिक प्रबंध का श्रमिकों द्वारा विरोध निम्नलिखित है :

  • वैज्ञानिक प्रबंध अपनाने पर श्रमिकों से अधिक कार्य करवाया जाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर विषम प्रभाव पड़ता है।

  • वैज्ञानिक प्रबंध में श्रमिकों को बड़े हो कठोर नियंत्रण के अंतगर्त कार्य करना पड़ता है।

  • श्रमिक वर्ग को वेतन उस अनुपात में नहीं मिलता जिस अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है। अधिकांश भाग निर्माताओं की जेबों में चला जाता है।

  • प्रत्येक श्रमिक स्वाभाविक रूप से ही स्वतंत्रतापूर्वक काम करना चाहता है। किन्तु वैज्ञानिक प्रबंध में इसके लिए कोई स्थान नहीं है।

  • वैज्ञानिक प्रबंध में श्रमिकों की स्वतंत्रता का हनन होने के कारण उन्हें एक मशीन की तरह कार्य करना पड़ता है। निरंतर एक ही प्रकार का कार्य करते रहने के कारण उन्हें कार्य के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है।

  • श्रम संघों की दृष्टि से यह प्रणाली हानिकारक है क्यूंकि यह श्रमिकों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित करती है।

  • वैज्ञानिक प्रबंध के द्वारा श्रमिकों का अनेक प्रकार से शोषण किया जाता है। निर्माताओं की मनमानी, पक्षपात, तालाबंदी, मतभेद पैदा करो और राज करो का बोलबाला हो जाता है।

निर्माताओं अथवा उत्पादकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का निम्नलिखित विरोध है :

  • यह प्रणाली अत्यंत खर्चीली है।

  • निर्माताओं की स्वतंत्रता का हनन हो जाता है, वे विशेषज्ञों के हाथ की कठपुतली हो जाते हैं और वे जिधर घुमाते हैं, उधर घूमना पड़ता हैं।

  • कारखाना एक कारखाना न रहकर एक प्रयोगशाला बन जाता है।

  • मंदी के समय जब उत्पादन शिथिल हो जाता और लाभ कम हो जाते हैं तो उस समय वैज्ञानिक प्रबंध के अनुसार योजना एवं विकास विभाग तथा उसके अधिकारों पर होने वाला व्यय भारस्वरूप हो जाता है।

  • संस्था में अनेक निरीक्षकों तथा विशेषज्ञों के होने के कारण उनके कार्यों में समन्वय स्थापित करना कठिन हो जाता है।