उपक्रम द्वारा निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु संगठन एक ओर तो विभिन्न कार्यों एवं क्रियाओं में
सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया है और दूसरी ओर कार्यरत व्यक्तियों के बीच मधुर संबंध स्थापित करने की कला है।
जब कभी दो से अधिक व्यक्ति किसिस उपक्रम में साथ-साथ कार्य करते हैं तो इन व्यक्तियों के मध्य कार्य को बाँटने की आवश्यकता होती है।
इसी का नाम संगठन है और यहीं से संगठन की क्रिया का शुभारम्भ होता है।
संगठन प्रबंध तंत्र है जिसके माध्यम से प्रबंधक अपना कार्य सम्पन्न करता है।
प्रसिद्ध विद्वान जी. ई. मिलवर्ड के अनुसार , कार्य और कर्मचारी समुदाय का मधुर संबंध संगठन कहलाता है।
प्रसिद्ध विद्वान डेविस के अनुसार, संगठन मूलतः व्यक्तियों का समूह है जो कि नेता के निर्देशन में सामान्यतः उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सहयोग करते हैं।
प्रसिद्ध विद्वान ऊर्विक के अनुसार, किसिस कार्य को सम्पादित करने के लिए किन-किन क्रियाओं को किया जाये, इसका निर्धारण करना एवं व्यक्तियों के बीच उन क्रियाओं के वितरण की व्यवस्था करना ही संगठन है।
इस तरह आधुनिक युग में अनेक घटकों के सहयोग से उत्पादन किया जाता है और इन विभिन्न घटकों में प्रभावी सामंजस्य स्थापित करना ही संगठन (Organisation) है।