संगठन कितने प्रकार के होते है ?

संगठन को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है :-

1) औपचारिक संगठन (Formal Organisation)

औपचारिक संगठन से आशय एक ऐसे संगठन से है जिसमें प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर अधिकारीयों के अधिकारों, कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्व की स्पष्ट रूप से व्याख्या कर दी जाती है।

ऐसे संगठन में सत्ता का भारर्पण ऊपर से नीचे की ओर किया जाता है तथा संगठन-संरचना का निर्माण संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

औपचारिक संगठन संस्था के प्रत्येक व्यक्ति को निश्चित विधि से कार्य करने, नियमों का पालन करने, मिलकर कार्य करने तथा पदानुसार एक-दूसरे के साथ व्यवहार एवं सम्मान करने के लिए बाध्य करता है।

प्रसिद्ध विद्वान चेस्टर आई. बर्नाड के अनुसार :-
जब किसी संगठन के दो या दो से अधिक व्यक्तियों की क्रियाओं को किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए चेतनापूर्वक समन्वित किया जाता है तो ऐसे संगठन औपचारिक संगठन कहलाता है।

औपचारिक संगठन के लक्षण अथवा विशेषताएं निम्नलिखित है :-

  • औपचारिक संगठन की स्थापना स्वेच्छा से चेतनापूर्वक निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की जाती है।
  • इसमें प्रबंध के प्रत्येक स्तर पर अधिकारीयों के अधिकारों, कर्त्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों की स्पष्ट रूप में व्याख्या की जाती है एवं उनकी सीमाएं निर्धारित रहती है।
  • इसमें सत्ता का भारर्पण ऊपर से नीचे की ओर होता है।
  • इसमें आदेश के एकता का पालन किया जाता है।
  • इसमें संगठन चार्टों का उपयोग किया जाता है।
  • इसमें सभी व्यक्तियों आपसे में मिलजुलकर काम करते हैं।
  • ऐसे संगठन में निश्चित प्रणालियों आदेशों, नीतियों, नियमों, पद्धतियों एवं संचार व्यवस्था के अधीन कार्य होता है।

2) अनौपचारिक संगठन (Informal Organisation)

अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन के ठीक विपरीत है।

संस्था में औपचारिक रूप से कार्य करते हुए व्यक्तियों के मध्य जब अनौपचारिक सामाजिक संबंध स्थापित हो जाते हैं तो इन संबंधों के कारण अनौपचारिक संगठन का जन्म होता है।

प्रसिद्ध विद्वान प्रो. कीथ डेविस के अनुसार :-
अनौपचारिक संगठन व्यक्तिगत एवं सामाजिक संबंधों का ऐसा जाल है जिसे स्थापित करने के लिए किसी औपचारिक संगठन की स्थापना की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

इस तरह अनौपचारिक संगठन मानवीय अंतर्क्रियाओं का वह समूह है जो स्वतः स्वाभाविक तौर से लम्बे समय तक साथ रहने से उत्पन्न हो जाता है।

अनौपचारिक संगठन सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्थापित होते हैं।

अनौपचारिक संगठन के लक्षण अथवा विशेषताएं निम्नलिखित है :-

  • अनौपचारिक संगठन का निर्माण स्वतः अर्थात अपने आप होता है।
  • ये समाजिक संगठन होते हैं जिनकी स्थापना व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाती है।
  • अनौपचारिक संगठन का निर्माणों सामाजिक समूहों के रीति-रिवाजों, धर्मों जातियों, भाषाओँ, क्षेत्रों, स्वभावों, विचारों, पारस्परिक संबंधों, आदतों तथा लम्बे समय तक आपस में मिलते-जुलते रहने के कारण होता है।
  • अनौपचारिक संगठन सम्पूर्ण संगठन का आंतरिक भाग है।
  • इनके अपने नियम, प्रणालियों। पद्धतियों एवं परम्पराएं होती हैं जिनका ये पालन करते हैं किन्तु ये नियम, पद्धतियां एवं परम्पराएं लिखित नहीं होती हैं किन्तु फिर भी इनका पालन होता है।
  • प्रबंध के सभी स्तरों पर अनौपचारिक संगठन विद्यमान रहते हैं।
  • अनौपचारिक संगठन पदों की क्रमबद्धता से मुक्त होते हैं।
  • अनौपचारिक संगठन विभिन्न प्रकार के हो सकते है, जैसे पारिवारिक, स्वाभाविकttha संगठित।