भारार्पण (Delegation) से आशय कार्य-भार के सौंपे जाने से है।
एकाकी व्यक्ति केवल एक मानव-शक्ति का निर्माण करता है।
जहाँ पर किसी व्यक्ति का कार्य-भार उसकी क्षमता से बाहर बढ़ जाता है तो वह अन्य व्यक्तियों को अपने अतिरिक्त कार्य-भार्य सौंप देता है।
और इसे ही भारार्पण अथवा प्रत्यायुक्ति कहते हैं।
भारार्पण एक साधन है जिसके माध्यम से एक उच्च अधिकारी दूसरे अधीनस्थ अधिकारीयों के साथ अपने प्रबंधकीय दायित्व में हिस्सा बंटाता है।
जिस प्रकार अधिकार प्रबंध के कार्य की कुंजी है, उसी प्रकार भारार्पण संगठन की कुंजी है।
कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा भारार्पण की दी गई परिभाषाएँ
प्रो थियो हैमन के अनुसार , भारार्पण का आशय केवल अधीनस्थों को निर्दिष्ट सीमाओं के अंतगर्त कार्य करने का अधिकार प्रदान किये जाने से है।
ई. एफ. एल ब्रेच के अनुसार , संक्षेप में भारार्पण का आशय है प्रबंध प्रक्रिया के चार तत्वों में से प्रत्येक का एक अंश दूसरों को हस्तांतरित करता है।
एफ जी. मुरे के अनुसार , भारार्पण से अभिप्राय है दूसरे लोगों को कार्य सौंपना तथा उसे करने हेतु अधिकार प्रदान करना।
भारार्पण के लक्षण अथवा विशेषताएँ निम्नलिखित है :-
भारार्पण संगठन के कार्य का एक महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि यह सदस्यों के मध्य अधिकारों का समन्वय स्थापित करता है तथा कार्य का निष्पादन सम्भव बनाता है।
भारार्पण के प्रमुख लाभ अथवा आवश्यकता अथवा महत्व निम्नलिखित है :-