विकेंद्रीकरण(Decentralisation) क्या है ?

विकेंद्रीकरण(Decentralisation) भारर्पण का ही एक विकसित रूप है। जब किसी उच्च अधिकारी द्वारा अधीनस्थ कर्मचारी को अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में अधिकारों का भारार्पण किया जाता है तो वह विकेंद्रीकरण कहलाता है।

अतः विकेंद्रीकरण का क्षेत्र भारार्पण की तुलना में अधिक व्यापक होता है।

ई. एफ. एल. ब्रेच के अनुसार, विकेंद्रीकरण भारार्पण के फलस्वरूप मिलने वाले दायित्वों का आकर होता है।

हेनरी फेयोल के अनुसार , अधीनस्थों की भूमिका के महत्व को बढ़ाने के लिए जो भी किया जाय, वह सभी विकेंद्रीकरण के अंतगर्त आता है।

विकेंद्रीकरण के लक्षण निम्नलिखित है :-

  • भारार्पण विकेंद्रीकरण का प्रथम चरण है।
  • विकेंद्रीकरण अधीनस्थों की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाता है।
  • यह संगठन में ऊपर से नीचे अर्थात सम्पूर्ण संगठन में लागू होने वाली प्रक्रिया है।
  • विकेंद्रीकरण प्रबंध की एक एक विधि है जो कि सत्ता का वितरण करती है।
  • निर्णयन प्रक्रिया में अधीनस्थों को भी भागीदारी मिलती है।

विकेंद्रीकरण का महत्व अथवा लाभ निम्नलिखित है :-

  • विकेंद्रीकरण का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके माध्यम से उच्च अधिकारीयों के कार्यभार में पर्याप्त कमी हो जाती है।

  • चूँकि विकेंद्रीकरण से युवा अधिकारीयों को स्वतंत्र निर्णय लेने का अवसर प्राओत होता है, अतः उनमें उत्साह और प्रेरणा की सृष्टि होती हैं तथा वे उपक्रम के कार्यों में अधिक दिलचस्पी लेने लगते है।

  • संदेशवाहक का कार्य सुविधाजनक हो जाता है।

  • विकेंद्रीकरण में विविधीकरण की पर्याप्त सुविधा रहती है।

  • नियंत्रण को प्रभावी बनाने में सहायता मिलती है।