विभिन्न प्रकार के शेयर का इश्यू क्या है ?

प्राथमिक बाजार में चार तरह के इश्यू से निवेशक रुबरु होता है :-

  1. आई.पी.ओ. ( Initial Public Offer )

    जब गैर-सूचीबद्ध कंपनी (अनलिस्टेड कंपनी) नए शेयर जारी करने के लिए पूँजी बाजार में प्रस्ताव लेकर आती है या ऐसी कंपनी, जो अपनी सिक्यूरिटीज (शेयर्स)

    पहली बार आम जनता के लिए बाजार में प्रस्तुत करती है तौ इस प्रकार के प्रस्ताव को 'इनीशियल पब्लिक ऑफर ' (आई.पी.ओ,. ) कहते हैं। आई.पी. ओ. की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह कंपनी सेबी द्वारा शेयर मार्केट में सूचीबद्ध कर दी जाती है | कंपनी आई.पी. ओ. दो तरीके से जारी कर सकती है---बुक बिल्डिंग रूट तथा फिक्स्ड प्राइस रूट

    • बुक बिल्डिंग रूट में कंपनी अपने नए शेयरों के लिए एक प्राइस बैंड तय करती है। निवेशक अपनी इच्छा के अनुसार उस प्राइस बैंड की सीमा मेँ आवेदन करते हैं । इस प्राइस बैंड की ऊपरी और निचली कीमत में अधिकतम अंतर 20 प्रतिशत तक हो सकता है। बुक बिल्डिंग प्रोसेस पूरा होने के पश्चात्‌ शेयर की प्राइस तय की जाती है।
    • फिक्स्ड प्राइस रूट में कंपनी अपने शेयर कीं एक निश्चित कीमत प्रस्तुत करती है (फेस वैल्यू पर प्रीमियम लगाकर ) । इसमें निवेशक को पहले से शेयर की कीमत पता होती है । सरल शब्दों में कहें, तों किसी कंपनी द्वारा पूँजी उगाही के लिए प्राथमिक बाजार (प्राइमरी मार्केट) में आम जनता के लिए जो प्रारंभिक प्रस्ताव लाया जाता है, उसे 'इनीशियल पब्लिक ऑफर! कहते हैं। इसमें संस्थागत निवेशक व रिटेल निवेशक दोनों आवेदन कर सकते हैं।
  2. पब्लिक इश्यू (Public issue )
  3. जब कोई पहले से सूचीबद्ध कंपनी प्राथमिक बाजार में शेयरों के नए इश्यू लाना चाहती है या अपने होल्डिंग्स (स्वामित्व) का कुछ भाग पब्लिक के लिए प्रस्तुत करना चाहती है तो उसे “पब्लिक इश्यू” कहते हैं। पब्लिक इश्यू की कार्य-शैली इनीशियल पब्लिक ऑफर (आई.पी.ओ. ) की तरह होती है।

  4. राइट इश्यू (Right issue)
  5. साधारणतया जब कोई सूचीबद्ध कंपनी (लिस्टेड कंपनी ) अपने नए इश्यू जारी करती है तो वह कंपनी अपने शेयर होल्डरों को प्राथमिकता देते हुए राइट इश्यू जारी करती है। इस राइट इश्यू के तहत कंपनी अपने शेयर होल्डरों को उनकी शेयर संख्या के अनुपात में नए शेयर खरीदने के लिए प्रस्ताव रखती है। शेयर होल्डर अपनी इच्छा के अनुसार इस प्रस्ताव. को स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकते हैं, या कंपनी के इस प्रस्ताव के लिए किसी अन्य शेयर होल्डर को अधिकृत भी कर सकते हैं | राइट इश्यू के दौरान कंपनी के शेयरों की बाजार कीमतों में परिवर्तन आता है। राइट इश्यू जारी होने से पहले की कीमत शेयर की “कम राइट प्राइस” कहलाती है तथा राइट इश्यू के तहत शेयर आवंटित होने के पश्चात्‌ शेयरों की बाजार कीमत ' एक्स राइट प्राइस! कहलाती है।'कम राइट प्राइस” तथा 'एक्स राइट प्राइस' का अंतर राइट इश्यू का शेयर बाजार द्वारा किया गया आकलन दरशाता है।


    कम राइट - जब कंपनी राइट इश्यू लाए जाने की घोषणा करती है, तब उस कंपनी के शेयर “कम राइट ' शेयर बन जाते हैं। कंपनी एक निश्चित तारीख की घोषणा करती है। इस तारीख से पूर्व के शेयरधारकों को राइट इश्यू का अधिकार होता है। स्वाभाविक है कि “कम राइट ' शेयर की कीमतें थोड़ी अधिक होती हैं।
    एक्स राइट - कंपनी द्वारा राइट इश्यू जारी करने के पश्चात्‌ शेयर की कीमत से राइट का अंश निकल जाता है और उस समय बाजार में शेयर की स्थिति ' एक्स राइट! कहलाती है।

  6. प्रीफरेंशियल इश्यू (Preferential issue)
  7. जब कोई सूचीबद्ध कंपनी चुनिंदा निवेशकों के लिए इक्विटी का इश्यू जारी करती है, जिसमें इक्विटी (शेयर) की तय की गई कीमत का तात्कालिक बाजार मूल्य से कोई संबंध नहीं होता। इस प्रकार के इश्यू को “प्रीफरेंशियल इश्यू' कहते हैं।