आओवरवैल्यूड शेयर्स (बहुत अधिक दाम लगाया छुआ शेयर) क्या है ?

सामान्य अवस्था में किसी शेयर की बाजार कीमत उसके प्रति शेयर अर्निंग या प्राइस अर्निंग (P/E) अनुपात (कीमत/लाभ या प्राइस/अर्निंग रेशियो) से तय होती है। लेकिन शेयर बाजार में सदैव अनुमान के आधार पर खरीद-फरोख्त होती है, इसलिए अधिकतर उन कंपनियों के शेयर अपनी तार्किक कीमत से ऊँचे आँके जाते हैं, जिन कंपनियों की छवि निवेशकों में अच्छी होती है| ऐसे शेयर ' ओवरवैल्यूड शेयर्स ' कहलाते हैं । शेयर सूचकांक (इंडेक्स) को झटका लगने पर सबसे पहले ऐसे शेयरों की ओवरबैल्यू गायब होती है तथा ये अपनी तार्किक कीमत के आस-पास पहुँच जाते हैं। शेयर बाजार में उतार (करेक्शन) आने पर प्राय: ऐसा देखा जाता है; और यही सही समय है जब निवेशक कम कीमत पर ब्लूचिप कंपनियों (अच्छी साख वाली कंपनियों) के शेयर खरीद सकता है।