डिविडेंड (लाभांश) क्या है ?

कंपनी अपने व्यापार से अर्जित लाभ पर टैक्स इत्यादि चुकाने रू पश्चात्‌ इसका कुछ हिस्सा वर्ष में एक या दो बार शेयरधारकों को उनकी भागीदारी के अनुपात में डिविडेंड के रूप में वितरित करती है। यह डिविडेंड शेयर की फेस वैल्यू पर आधारित होता है, न कि उसकी बाजार कीमत पर | बोनस शेयर भी डिविडेंड का ही एक रूप है।

डिविडेंड कबर

टैक्स इत्यादि चुकता करने के पश्चात्‌ बचे हुए लाभ का वह हिस्सा, जो डिविडेंड के रूप में शेयरधारकों में वितरित किया जाता है, 'डिविडेंड कवर' कहलाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि नेट प्रॉफिट का चौथा हिस्सा डिविडेंड के रूप में वितरित किया जाता है तो कहा जाता है कि डिविडेंड कवर चार है--अर्थात्‌ जितना अधिक डिविडेंड कवर बढ़ेगा, उतना ही शेयरधारकों को कम डिविडेंड प्राप्त होगा।

डिविडेंड यील्ड

प्रति शेयर डिविडेंड को उस शेयर की बाजार कीमत से विभाजित करके प्रतिशत के रूप में निरूपित किया जाए तो यह 'डिविडेंड यील्ड' कहलाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई कंपनी 50 प्रतिशत डिविडेंड घोषित करती है, उसके शेयर की बाजार कीमत 250 रुपए है तथा शेयर की फेस वैल्यू 0 रुपए है, तब डिविडेंड यील्ड

5 रुपए/250 रुपए × 100 = 2 प्रतिशत

यह 2 प्रतिशत डिविडेंड यील्ड है।

यह आँकड़ा कंपनी द्वारा घोषित डिविडेंड तथा उस शेयर की बाजार कीमत में संबंध दरशाता है।

कम डिविडेंड

किसी कंपनी द्वारा डिविडेंड घोषित करने से पहले (बुक क्लोजर/रिकॉर्ड डेट से पहले) शेयरों की कीमत में संभावित डिविडेंड का लाभ भी छिपा होता है। ऐसे शेयर “कम डिविडेंड' कहलाते हैं।

एक्स छडिविडेंड डेट

कंपनी द्वारा सार्वजनिक रूप से घोषित की गई तारीख, जिसके पश्चात्‌ शेयर कौ खरीद पर लाभांश का हक नहीं होता, उसे ' एक्स डिविडेंड डेट' कहते हैं। यदि बाकी अन्य स्थितियाँ अपरिवर्तित रहें तो इस तारीख के बाद शेयर की कीमत में थोड़ी गिरावट आती है।