ये कमर्शियल बैंक से अलग होते हैं। इनका कारोबार इंपोर्ट-एक्सपोर्ट ट्रेडिंग (आयात-निर्यात खरीद-बिक्री) तथा कंपनियों, उद्योग-धंधों के लिए देश-विदेश से वित्तीय संसाधन इत्यादि जुटाना होता है।
ये मर्चेट बैंक कंपनियों की तरफ से शेयर व डिबेंचर भी जारी करते हैं तथा उन्हें अंडरराइट की सुविधा देते हैं। ये कंपनियों के अधिग्रहण तथा विलय (टेकओवर व मर्जर) में भी शामिल रहते हैं। मोटे तौर पर इन्हें कंपनियों का 'कंसल्टेंट भागीदार' कहा जा सकता है।