बिक्री अनुपात, इक्विटी अनुपात और दैनिक व्यापार क्या है ?

आधारभूत । विश्लेषण (फंडामेंटल एनालिसिस)

किसी भी कंपनी के व्यवसाय के आधारभूत कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा उसके शेयर की कीमत का आकलन आधारभूत विश्लेषण' कहलाता है। विशेषज्ञ उद्योग की गति, कंपनी की बिक्री, संपत्ति, देनदारी, कर्ज, उत्पादन, बाजार में कंपनी का हिस्सा, कंपनी का प्रबंधन, कंपनी के प्रतिद्वंद्वी इत्यादि तथ्यों का अध्ययन करके तथा कंपनी की बैलेंस शीट, लाभ-हानि लेखा तथा वित्तीय अनुपातों का साल-दर-साल अध्ययन करके कंपनी तथा उसके शेयर का आधारभूत विश्लेषण करते हैं। किसी कंपनी में लंबे दौर के निवेश करने हेतु यह जानकारी बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। यद्यपि कम समय में निवेश हेतु इस जानकारी का समुचित उपयोग नहीं किया जा सकता है।

वित्तीय अनुपात (फाइनेंशियल रेशियो)

किसी भी कंपनी के व्यवसाय तथा उसके वित्तीय स्वास्थ्य को मापने के मानक होते हैं-'वित्तीय अनुपात'। इनमें प्रमुख हैं-करेंट रेशियो, प्राइस टू अर्निंग रेशियो, अर्निंग/इक्विटी रेशियो, प्राइस/बुक वैल्यू रेशियो, कर पूर्व लाभ/बिक्री रेशियो, क्विक रेशियो इत्यादि। इन विभिन्न अनुपातों को ज्ञात करने में बुक वैल्यू, डिविडेंड कवर, करेंट यील्ड, ई.पी.एस., वैलेटिलिटी इत्यादि का उपयोग होता है।

कर पूर्वलाभ/बिक्री अनुपात

किसी कंपनी के निश्चित अवधि के दौरान किए गए बिजनेस द्वारा कर पूर्व अर्जित लाभ तथा इस अवधि के दौरान की गई बिक्री का अनुपात एक महत्त्वपूर्ण सूचकांक होता है। यह सूचकांक कंपनी की सक्षमता को दरशाता है। उदाहरण के तौर पर, टी.वी. बनानेवाली दो कंपनियाँ 'ए' तथा 'बी' ने एक निश्चित अवधि (तीन माह) के दौरान किए गए व्यापार का अध्ययन करने पर पाया कि कंपनी 'ए' का यह सूचकांक कंपनी 'बी' से अधिक है। इससे यह पता चलता है कि या तो कंपनी 'ए' के उत्पाद पर लागत दर कम है अथवा उसकी बिक्री ज्यादा है। दोनों ही बातें कंपनी 'ए' की अधिक सक्षमता दरशाती हैं।

रिटेंड अर्निंग (आय अधिकार में रखना)

कंपनी अपनी अर्जित आय का कुछ हिस्सा भविष्य के विस्तार व आकस्मिक आवश्यकता के लिए रोक लेती है तथा उसे डिविडेंड के रूप में शेयरधारकों में वितरित नहीं करती। यह अतिरिक्त लाभ सरप्लस या रिजर्व के रूप में कंपनी के पास जमा रहता है।

प्राइस अर्निंग मल्टीपल (पी/ई अनुपात)

'प्राइस अर्निंग मल्टीपल' या 'रेशियो' पी/ई कंपनी के शेयर की कीमत तथा शेयर द्वारा अर्जित आय का अनुपात है। किसी कंपनी का तीन से पाँच वर्षों की अवधि के दौरान उस कंपनी के शेयर की औसत कीमत तथा उस शेयर द्वारा अर्जित लाभ का अनुपात पी/ ई निवेशकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचकांक होता है।

यदि यह सूचकांक उच्च स्तर पर हो (20 से 25 के आसपास) तो यह दरशाता है कि निवेशक इस शेयर को ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं। यदि दो शेयरों की तुलना करें तथा एक निश्चित अवधि (एक वर्ष) के दौरान उनके द्वारा अर्जित आय (प्रॉफिट) समान हो, परंतु उनका पी/ई अनुपात भिन्न हो तो यह कहा जा सकता है कि जिस शेयर का पी/ई अनुपात ज्यादा है, तो उस कंपनी ने निवेशकों का विश्वास अधिक अर्जित किया है।

यह सूचकांक यह भी दरशाता है कि किसी शेयर को बाजार में कितना ऊँचा आँका गया है। शेयर की औसत कीमत को उसके द्वारा अर्जित आय के अनुपात से यह सूचकांक प्राप्त होता है। बाजार में जिन शेयरों को ऊँचा आँका जाता है, उन शेयरों का पी/ई अनुपात ज्यादा होता है। विभिन्न कंपनियों को औसत पी/ई अनुपात निवेश पत्रिकाओं में दरशाया जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि जिस कंपनी के शेयर का पी/ई अनुपात ज्यादा हो, उसका भविष्य निश्चित ही अच्छा होगा; क्योंकि कई बार वे कंपनियाँ, जिनके शेयरों की मार्केट में बहुत कम ट्रेडिंग होती है, लंबे समय तक ऊँचा पी/ई अनुपात अथवा निम्न पी/ई अनुपात दरशाती हैं। इस सूचकांक का सही उपयोग सक्रिय शेयरों के प्रदर्शन को आँकने में किया जा सकता है।

निश्चित अवधि के दौरान किसी शेयर की औसत कीमत को उस अवधि के दौरान उस शेयर द्वारा अर्जित आय (EPS) से भाग दिया जाए तो उस शेयर का पी/ई रेशियो प्राप्त होता है।

शेयर की औसत कीमत पी/ई प्रति शेयर आमदनी

आय बनाम इक्विटी अनुपात (अर्निंग टू इक्विटी रेशियो)

कर (टैक्स) पश्चात् लाभ में से प्रिफरेंशियल शेयर का डिविडेंड निकालने के बाद बची हुई राशि को इक्विटी शेयर कैपिटल प्लस कंपनी के रिजर्व से भाग दिया जाए और प्राप्तांक को 100 से गुणा किया जाए तो यह रेशियो प्राप्त होता है।

कर पश्चात् अर्निंग (E)-प्रिफरेंशियल डिविडेंड (PD) X 100 / इक्विटी कैपिटल (EC)+ रिजर्व (R) इसे क्यों देखा जाए ? क्योंकि यह रेशियो (अनुपात) दरशाता है कि कोई कंपनी अपनी पूँजी (कैपिटल) का लाभ कमाने में कितना बेहतर ढंग से उपयोग कर रही है।

नकद अनुपात (कैश रेशियो)

किसी कंपनी के पास जमा नकदी तथा जमा सिक्यूरिटीज को उस कंपनी की कुल देनदारियों से भाग दिया जाता है तो यह 'कैश रेशियो' (नकद अनुपात) प्राप्त होता है। इससे यह पता चलता है कि कोई कंपनी अपनी देनदारियाँ कितनी जल्दी चुकता कर सकती है।

तकनीकी विश्लेषक (टेक्निकल एनालिस्ट)

फंडामेंटल विश्लेषकों की तरह तकनीकी विश्लेषक भी सिक्यूरिटी की कीमतों का अध्ययन करते हैं। तकनीकी विश्लेषक विश्वास करते हैं कि सिक्यूरिटीज की कीमतें मोटे तौर पर सिक्यूरिटीज की माँग तथा आपूर्ति पर निर्भर करती हैं। इनका विश्वास होता है कि सिक्यूरिटीज की कीमतों के दैनिक उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज किया जाए तो शेयर कीमतें एक दृष्टिगोचर पैटर्न (अंदाज लगाने योग्य तरीका) पर चलती हैं तथा लंबे समय के अध्ययन से इसे पहचाना जा सकता है; इनका मानना होता है कि शेयर की कीमतों का ट्रेंड बार-बार दोहराया जाता है। क्योंकि निवेशक की मानसिकता एक निश्चित पैटर्न की होती है। अतः जो ट्रेंड पहले घटित हुआ है, उसका दोहराव आगे भी होगा। तकनीकी विश्लेषक किसी कंपनी या सेक्टर की आधारभूत मजबूती या कमजोरी को न आँककर निवेशकों की मानसिकता तथा कीमतों के प्रदर्शन का अध्ययन करते हैं।

मंदड़िए (बीयर)

शेयर बाजार के वे ऑपरेटर या खिलाड़ी, जो शेयरों की तेजी से बिकवाली कर लाभ कमाने की फिराक में रहते हैं, ये ऑपरेटर शेयरों की तेज बिकवाली करके शेयरों की कीमतें गिराते हैं तथा घटी हुई कीमतों पर पुनः शेयर खरीदते हैं। शेयर बाजार की भाषा में इन्हें 'बीयर' या 'मंदड़िए' कहा जाता है।

मंदी का बाजार (बीयर मार्केट)

जब बाजार में लंबे समय तक बिकवाली के दबाव के चलते शेयरों की कीमतों में गिरावट का दौर रहता है तो इसे 'बीयर मार्केट' या 'मंदी का बाजार' कहा जाता है। ऐसी स्थिति सरकार की औद्योगिक व आर्थिक नीति में परिवर्तन, सरकार की कीमतों पर नियंत्रण की नीति, बाढ़ या अकाल जैसी प्राकृतिक आपदा, मुक्त आयात, सरकार के बदल जाने, आयकर विभाग द्वारा व्यापक छापे या बीयर (मंदड़िए द्वारा योजनाबद्ध तरीके

से की गई गतिविधियों) के कारण हो सकती है।

स्टैग

वे लोग जो प्रायः सेकंडरी मार्केट में निवेश नहीं करते, बल्कि प्राथमिक बाजार में ही निवेश करते हैं, 'स्टैग' कहलाते हैं।

ए-डी इंडक्स (एडवांस डिक्लाइन इंडेक्स)

यह शेयर बाजार के ट्रेंड को मापने का पैमाना है। शेयर बाजार तेजड़ियों (बुल) के नियंत्रण में है या मंदड़ियों (बीयर्स) के नियंत्रण में है, इसका अंदाजा इस इंडेक्स के द्वारा लगता है। किसी दिन ट्रेड हुए शेयर में से वृद्धिवाले शेयरों की संख्या को गिरावटवाले शेयरों की संख्या से विभाजित करने पर यह इंडेक्स प्राप्त होता है। उदाहरण के तौर पर, किसी दिन विभिन्न सेक्टर की कुल 800 कंपनियों की ट्रेडिंग हुई, जिसमें 600 शेयरों में उछाल आया तथा 200 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई

600 /200 = 3

इस प्रकार उस दिन का ए-डी इंडेक्स 3 हुआ। यह दरशाता है कि उस दिन शेयर बाजार तेजड़ियों (बुल्स) के प्रभाव में रहा। ए-डी इंडेक्स एक से अधिक होने पर तेजड़ियों (बुल्स) का प्रभाव तथा एक से कम होने पर मंदड़ियों (बीयर्स) का प्रभाव दरशाता है।

रैली

शेयर बाजार में गिरावट अथवा ठहराव के दौर के पश्चात् जब शेयरों की कीमतों में वृद्धि का दौर आता है तथा शेयर बाजार का सूचकांक बढ़ने लगता है तो इसे बाजार की भाषा में 'रैली' कहा जाता है।

दैनिक व्यापार (डे ट्रेडिंग)

शेयर के भावों में दैनिक उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखकर इससे लाभ कमाने हेतु किसी कंपनी के शेयरों को एक ही दिन में खरीदकर बेचने (ट्रेडिंग) को 'दैनिक व्यापार' अथवा 'डे-ट्रेडिंग' कहते हैं।